April 28, 2025
पहाड़ की पगडंडियों से दौड़कर साउथ ऐशियन खेलों में बनाई जगह

पहाड़ की पगडंडियों से दौड़कर साउथ ऐशियन खेलों में बनाई जगह

एशिया के दूसरे सबसे ऊंचाई पर स्थित रांसी स्टेडियम पौड़ी जो कि हाई एल्टीट्यूड सेंटर के रूप में विकसित हो रहा है। यहाँ पर एथलीट दिन रात मेहनत कर अपना पसीना बहाकर उत्तराखंड का नाम रोशन कर रहे हैं। वहीं इन दिनों उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल विकासखंड स्थित वाण गांव की भागीरथी बिष्ट भी इन दिनों यहाँ कड़ी मेहनत कर रही है। भागीरथी बिष्ट ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित 42 किलोमीटर की नेशनल मैराथन में स्वर्ण पदक हासिल किया है और चाइना में होने वाले साउथ ऐशियन खेलों में अपनी जगह बनायी है। उत्तराखंड के चमोली जिले की जन्मी भागीरथी बिष्ट ने ऊंचे- ऊंचे पहाड़ों की संकरी पगडंडियों पर दौड़ लगाने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहराने को तैयार हैं। भागीरथी ने अपनी कड़ी मेहनत और हिम्मत से एक नया मुकाम हासिल किया है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी अपने सपनों को जिंदा रखने वाली भागीरथी की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा बन रही है जो की चुनौतियों से डरने के बजाय उन्हें अपनी ताकत बना लेती हैं। भागीरथी का सपना है कि ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतकर लाय। भागीरथी बिष्ट की मेहनत, संघर्ष और समर्पण ने उन्हें न केवल व्यक्तिगत चुनौतियों को पार करने में मदद की है बल्कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी दिलाई। एथलेटिक कोच सुनील शर्मा के साथ उनकी पहली मुलाकात ने उन्हें एक नई दिशा दी थी जिससे वह अपनी प्रतिभा को पहचान सकीं और उसे विकसित करने का अवसर मिला। एथलेटिक कोच सुनील शर्मा बताते है कि वह 33 सालों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौड़ रहे है साथ ही सेना व अन्य लोगो को भी प्रशिक्षण दे रहे है। पिछले 5 सालों से वह भागीरथी को प्रशिक्षण दे रहे है। भागिरथी के अंदर जो क्षमता है वह उन्होंने इससे पहले किसी अन्य खिलाड़ी में नहीं देखी। कहा किनपहाड़ों में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें तराशने की आवश्यकता है। भागीरथी बिष्ट ने इससे पहले 42 किलोमीटर की मुंबई मैराथन, 25 किलोमीटर की बैंगलोर मैराथन और जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, अमृतसर सहित राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई मैराथनों में भाग लिया है और उनमें सफलता भी हासिल की है। पिछले साल, उन्होंने तुंगनाथ से दिल्ली तक आयोजित 500 किलोमीटर की मैराथन में भी हिस्सा लिया था। भागीरथी पिछले डेढ़ साल से पौड़ी के रांसी खेल मैदान में तैयारी कर रही हैं। उनके कोच सुनील शर्मा उन्हें प्रेरित करते रहते हैं और उन्हें 2028 के ओलंपिक में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। भागीरथी का कहना है कि उनकी दिनचर्या सुबह 4 बजे शुरू होती है। वे मैदान में अभ्यास करने से पहले योग करती हैं और फिर दिन में छह घंटे से अधिक समय तक दौड़ने का अभ्यास करती हैं।

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