डॉ. ब्रह्मदीप अलूने महाशक्तियों की राजनीतिक और आर्थिक महत्त्वाकांक्षाओं ने तीसरी दुनिया के उभरने की संभावनाओं को सुनियोजित तरीके से खत्म कर दिया है। इसका प्रतिबिंब है दक्षिण एशिया और इन देशों का क्षेत्रीय संगठन दक्षेस जिसे सार्क भी कहा जाता है। अमेरिकी प्रभाव में पाकिस्तान की जमीन का सैन्य कार्यों के लिए उपयोग और […]
एक अच्छे, भले और नेक प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह
हरिशंकर व्यास शीर्षक चौंका सकता है। पर जरा समकालीन भारत अनुभवों और उनकी दिशा में झांके तो अगले बीस-पच्चीस वर्षों की क्या भारत संभावना दिखेगी? भारत पिछले दस वर्षों की विरासत में कदम उठाता हुआ होगा। इस विरासत का मंत्र और अनुभव बुद्धि नहीं लाठी है। हार्वर्ड नहीं हार्डवर्क है। सत्य नहीं झूठ है। सौम्यता […]